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देवान्त को कथा सुनकर किया राज पता चला था भाग 2

पिछली कहानि में आपने सुना था कि देवान्त ने कथा सुनी थी और उसका गुप्त राज हम इस पोस्ट में आपको बतायेगें

आपको हमनें पिछली पोस्ट में ये बताया था कि देवान्त के साथ किस प्रकार का माया जाल बिछाया गया था और उसे उस जाल में कैसे फँसाया गया अगर आपने हमारी पिछली पोस्ट को पढा होगा तो आपको सब पता हि होग और अगर आपने नहीं पढा हैं तो आप यहाँ क्लिक करके भी उस कहानी को पढ सकते हैं आपके मन में हमारी पिछली पोस्ट को लेकर शायद बहुत से सवाल उठ रहे होंगे आपको उन सभी सवालों का जबाब इस पोस्ट में आपको मिल जयेंगा|

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कथा में किया ऐसा था जिसका प्रभाव कभी खाली नहीं जाता हैं

इस कथा में मुख्य कुछ बातों को इस प्रकार कहा गया हैं कि कोई भी इसे सुनकर कभी भी ठीक नहीं रह पाता या तो वो पागल हो जाता हैं या फिर वो समाप्त हो जाता हैं यहाँ तक कि भी अपने आप को मिटाने के लिये वेवस हो जाता हैं पहले आप इन सब बातों को गोर से पढ ले(पौत्र-पात्र, ब्रह्मा, ब्राह्मण, दसरथ) ये कुल चार बातें हो गई यही वो बातें हैं जिससे कथा सुनने वाला अपना मानसिक सन्तुलन खों देता हैं चलियें जानते हैं

पौत्र-पात्र को इस कथा में किस प्रकार कहा गाया हैं देखे किस प्रकार से कहा गया हैं| जो इस कथा को सुनता हैं उसे पौत्र-पात्र कि प्राप्ति होती हैं और अंत में उसे स्वर्ग कि प्राप्ति होती हैं

पौत्र-पात्र किसी व्यक्ति पर इस शब्द का प्रभाव किस प्रकार पड़ता हैं जाने| जब कोई भी इस कथा में यह शब्द को सुनता हैं तो उसके मन में ये भय बैठ जाता हैं कि जाता हैं कि जब तक वो अपने बेटे और नाती को नहीं देख लेता तबतक उसके प्राण नहीं जायेंगे|किसी भी व्यक्ति को जब ये पता चल जायें कि उसके प्राण अभी नहीँ जायेंगे तो उसे स्वत ही पता चल जायेंगा वो अभी बहुत जीने वाला है और वो अपने आपको खत्म भी नहीँ कर सकता तो वो एक बन्धन में फँस जाता हैं और पागल हो जाता हैं या अपने आप को मारने कि कोशिश करता रहता हैं इसलियें वो किसी से भी नही डरता वो ऐसा इसलियें करता हैं कि क्यों की वो सोचता हैं कि उसे कोई मार नहीँ सकता इसलियें वो किसी से नहीँ डरता और अपने को खत्म करने के लियें ही वो किसी से नहीँ डरता आपको इसमें एक बात ओर गौर करनी चाहियें कि देवान्त कि शादी भी नहीँ हुई थी इसलियें ये शब्द देवान्त के अन्दर कितना भय पैदा कर देते और ये शब्द देवान्त के मन में ज़हर घोलनें का काम करते तथा देवान्त कि उम्र 24 साल थी तो वो ये सब बातें सोच-समझ भी सकता था इस लियें देवान्त के को बङा होने का इन्तजार किया गया|

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ब्रह्मा> ये शब्द कथा सुनने वालें के मन में किस प्रकार का प्रभाव डालती हैं इसको इस कथा में कुछ इस प्रकार से कहाँ गया हैं |प्रभु कि जब माया छा जाती हैं तो ब्रह्मा जी भी कुछ नहीँ कर पाते यानी कि आपका जो भाग्य ब्रह्मा जी ने लिखा हैं अब ऐसा कुछ भी नहीं होगा

ये शब्द सुनने वाला किया सोचता हैं ये जानें|क्योंकि हर व्यक्ति कि भगवान पर आस्था होती ही हैं तो वो व्यक्ति ये सोचता हैं कि अब मै तो मर ही नहीं सकता जब भगवान मुझे मारेंगे तभी में मरऊगा क्योंकि जब ब्रह्मा भी कुछ नहीँ कर सकते तो मे भला किया कर सकता हूँ|इससे कोई भी व्यक्ति दूसरे चरण के बन्धन में फँस जाता हैं| अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि इनसब बातों का किया प्रभाव पङेंगा कथा सुनने वालें के ऊपर

ब्राह्मण> इस कथा में ब्रह्माण के ऊपर एक छोटी सी कहानी है चलियें जानतेंं हैं उस कहानी को और जानते हैं कि कथा सुनने वाले पर इसका किया प्रभाव पङता हैं|

एक ब्रह्माण होता हैं वो अपने परिवार का पालन-पौषण भीख मांगकर करता था एक दिन वो कही खङा होता हैं वो जहाँ खङा होता हैं वहाँ चोरों ने ख़ज़ाना झुपाया होता है चोरों को खोजते हुए राजा के वो सिपाही उस ब्रह्माण के पास रुक जाते हैं और उस ब्रह्माण के पास तलाशी लेने लगते है तो उनको वो खजाना वहाँ पर मिल जाता हैं तो सिपाही उस ब्रह्माण को चोर समझ कर क़ैद खाने में डाल देते हैं उसी रात राजा को सपनें भगवान उस राजा से कहते हैं कि वो ब्रह्माण निरदोंंष हैं अगर तुमनें उसे आज़ाद नहीं किया तो मै तुम्हारा सारा राज पाठ सब नष्ट कर दूँगा ये सब देख राजा उस ब्रह्माण को क़ैद खाने से आज़ाद कर देता है और उसे वो घन भी दे देता हैं अब वो ब्रह्माण उस घन को लेकर नाव के ऊपर सवार होकर जानें लगता है तभी भगवान उसकी नाव डुबा देते हैं उस ब्रह्माण कि एक लङकी होती हैं वो किसी के घर पर कथा करातें हुयें देखती हैं और घरपर आकर कहती हैं कि हमने ये सब नहीं किया तभी हमारे साथ ये सब हुआ|

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कथाओं का राज जो केवल सुनने वाला ही जान पाता हैं

अब आप इस कहानी का राज जान लिजियें इसमें भी आपके ऊपर तीसरें बन्धन का प्रयोग किया गया हैं और आपको एक बार और ये समझाया गया हैं कि आप अपनें आप को अब इस कथा को सुनने के बाद अपनें आप को नही मार पायेंगे और न ही आपको कोई मार पायेंगा आपकी मौत अब केवल प्राकृतिक ही तरह से हो सकती हैं क्योंकि लङकी ये देखती हैं कि जिसके घर में कथा होती हैं वो डुबकर या कटकर नहीं मरता हैं। आपनें महाभारत तो अवश्य देखा ही होगा महाभारत के अंत में भगवान कहते हैं कि इन सभी सेना को मेरे चक्र ने मारा है यानी कि उन सभी सेना को भी कथा सुनाई गई थी जिससे वो अपने आप ही परेशान रहे और उनको बिना किसी अस्त्र को दिखे बिना हि मारा जा सकें वो अस्त्र ये कथा ही हैं |

दशरथ> शब्द का प्रयोग इस कथा में इस प्रकार से किया गया हैं ये चौथा बन्धन है जिसे सुनकर दशरथ भी नहीं बचें और स्वर्ग चलें गयें उनकी मौत प्राकृतिक हुई थी हार्ट-अटैक से यानी आपको एक बार फिर समझाया गया हैं कि आप कुछ भी करले आप अपने आप को नहीं समाप्त कर सकते। यहाँ आपको ये समझानें का प्रणियन्त्र किया गया हैं कि आपने रामायण तो अवश्य देखी होगी और दशरथ कि मृत्यु किस प्रकार हुई ये भी आपने अवश्य ही देखा होगा| इसलियें किसी ने खूब ही कहाँ हैं चारों खाने चित

और जो ये कथा सुनता हैं वो फिर कहीं से नही बच पाता क्योंकि वो चारों खानें चित हो जाता है और उसे इससे बचनें का कोई उपाय नहीं मिलता क्योंकि इसमें आपको बस यें समझाया गया हैं कि अब आप खुद को नहीँ मिटा सकते जो ये कथा सुनता हैं वो अन्दर ही अन्दर घुठ्ठा रहता हैं और वो ये किसी को नहीं बताता कि उसे कैसा अनुभव हो रहा है यहाँ तक कि वो अपने किसी करीबी को भी नहीँ बताता इसलियें इस कथा के राज को कोई नहीँ जान पाता हैंं। इसे सुननें वाला कभी सपनें में भी ख़ुश नहीँ हो सकता। जब कथा होती हैं तो उसमें बहुत लौंग आते हैं जो दर्शक होते कथा के इनसब बातों को नहीं समझ पाते कई बार कथा सुननेंं बाला इससे बच जाता हैं क्योंकि वो कथा को ध्यान से नहीँ सुनता पर जो कथा सुनता हैंं और उस कथा पर विचार करता हैं तो उसके तोते उङ जाते हैं वो ये सोचता हैं कि मैने अपनी बर्बादी खुद ही करली। कथा को सुनने वाला कभी भी समान्य जीवन नहीं जी सकता ये अटल सत्य हैं। इसलिए तुलसीदास भी अपनी एक उक्ति में कहते हैं की पराधीन सपनेहुँँ सुख नाहीं नितांत सत्य हैं और मानव-जीवन वास्तविकता को प्रकट करती है। स्वतंत्रता हमारी अमूल्य निधि है और अपने प्राणौं की आहुति देकर भी हमें अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना होगा। यानी आपको किसी भी बन्धन में नहीँ बन्धना चाहियें ये कथा आपको बन्धन में डाल देती हैं।

जहाँ तक देवान्त कि बात है तो देवान्त अंधविश्वास पर बिल्कुल भी भरोंसा नहीं करता था इसलियें वो इस माया जाल से बच गया।

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अब देश से बाहर विदेश को भी कर रहे हैं अपने वश में जाने कौन हैं वो

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