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कथा सुनकर देवान्त पहुचा गया स्वर्ग सच्ची घटना पर अधारित

दोस्तों आज हम एक सच्ची घटना पर अधारित एक कहानि के बारें में आपको बताने वालें हैं

एक गाँव में देवान्त नाम का लड़का रहता था साथ में उसके दो भाई और तीन बहन भी रहती थी उसके माता पिता भी उसके साथ में रहते थे मतलब कि सब मिल-झुल कर रहते थे उनका परिवार बहुत गरीब था यानी वो जिस गाँव में रहते थे उनका वो गाँव ही गरीब था|

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देवान्त बहुत भोला और समझदार तथा दयालु किस्म का लड़का था गाँव के सभी लोंगो से मिलझूल कर रहनें वाला और उन्हें अंधविश्वास कि बातों पर न विश्वास न करने के लिये कहता था क्योंकि उसके पिता बाहर काम करते थे तो देवान्त भी वहाँ पढने चला गाय था वहाँ से उसे अंधविश्वास पर भरोसा न करने जैसी बातों के बारें में पता चला था कि ये सब तो झूठी बातें होती हैं | 

और देवान्त के गाँव वालें सभी अनपढ थे और न समझ थे और उन्हीं के बग्ल में एक गाँव और था जहाँ केवल पंडित रहते थे इसलिये गाँव के सभी पंडित देवान्त के गाँव वालों से बंजर जमीन के पैसे लेते थे और पुलिस को न बताने को कहते थे क्योंकि गाँव वालें केवल पैसे देते थे और उनसे कोई सबूत भी नहीं लेते थे तो पुलिस भी आकर आखिर किया करती गाँव वालें उन पंडितो से बहुत डरते थे क्योंकि पंडित बहुत अमीर थे और उनके हर घर में कोई न कोई सरकरी नौकरी करता जरूर था इसी कारण गाँव वालें उनसे और डरते थे| देवान्त अपने पिता के साथ रहकर शहर में पढा था इस लिये उसे इन सब कि जानकारी थी की बंजर जमीन कोई भी नहीं बेच सकता ये सरकारी संम्पती होती हैं

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देवान्त गाँव वालों को सही गलत का फर्क समझाने लगा और उनके लिये लड़ने के लिये त्यार हो गया क्योंकि देवान्त अपने गाँव के लोंगो से बहुत प्यार करता था उनके साथ होते ऐसे अत्याचार को वो सह न सकता था | गाँव के पंडित ये सब देख कर परेशान हो जाते हैं क्योंकि उनकी कमाई में देवान्त कि वजह से बाँधा उत्पन्न होने लगी थी तो पंडितो ने देवान्त को अपने रास्ते से हटानें का प्लान बनाया और देवान्त कि माँ तो पंडितो को मानती थी पर देवान्त नहीं मानता था| देवान्त कि माँ हमेंशा देवान्त के चक्कर में रहती थी कि मेरे बेटे का भविषय कैसा होगा ये कुछ करेंगा भी या नहीं यही चिन्ता देवान्त की माँ को पंडित के पास लेकर चली जाति हैं जब पंडित से देवान्त कि माँ अपने बच्चे का भविषय पूछती हैं तो पंडित कहता हैं कि सुमन तुमहारें बेटे कि आयु बहुत कम हैं ये चैबिस 24 साल कि आयु तक जिवित रहेंगा और ये मरेंगा तो भूत बनेंगा देवान्त कि माँ ये सब सुनकर अपने होस खो बैठती हैं और कुछ समय बाद अपने घर चली जाति हैं |

और यही सोच देवान्त कि माँ को पागल कर देती हैं और देवान्त कि माँ जब घर पर आती हैं तो उसकी मानसिक दशा देख कर सब चौक जाते हैं कि अभी तो कुछ समय पहलें ये ठिक-ठाक थी अचानक इन्हें किया हो गया जो भी हुआ वो सब देवान्त कि माँ उस समय किसी को भी बताना नहीं चाहती थी| अगले दिन देवान्त के घर वालें देवान्त कि माँ को मानसिक अस्पताल लेकर जाते हैं डाँक्टर देवान्त की माँ का चेकअप करके उन्हें दवाई दे देता हैं और कहता हैं ये दवाई इनको 6 महीने जरूर चलाना नहीं तो इनकी हालत फिर से ऐसी हो सकती हैं|

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देवान्त की माँ को दवाई खाते हुये 6 महीने बीत चुके थे| एक दिन घर पर देवान्त कि माँ और देवान्त घर पर होते हैं बाकि सब किसी रिश्तेदार के घर गये होते हैं देवान्त कि माँ देवान्त से कहती हैं की बेटा तु घर में सो जा में घर के बाहर चारपाई डाल कर सो जाती हूँ बगल में ही देवान्त के चाचा का घर था देवान्त और उसके चाचा के परिवार से अनबन रहती थी जमीन के बटबारे को लेकर क्योंकि देवान्त का परिवार और उसके चाचा अब अलग हो चुके थे|

पहले ये एक साथ रहते थे और देवान्त का परिवार साफ़-सुथरा और हमेंशा निरोंग रहता था यही देवान्त के चाचा हमेंशा रोग से ग्रस्त और उनका बेटा भी रोग ग्रस्त रहता था यही कारण था कि देवान्त के चाचा देवान्त के परिवार को देख के जलते रहते थे| अब गाँव के ही एक पंडित कि औरत उसके चाचा के पास आते-जाते रहती थी उन पंडितो में एक परिवार ऐसा भी था जिसे गाँव वालें कहते थे कि इनका परिवार तो जादू-टोना भी जानता हैं | कुछ समय बाद गाँव में अफ़वायें उड़ने लगी कि देवान्त कि चाची को उस पंडिताइन  ने जादू-टोना सिखाया हैं कुछ हफ़तो बाद फ़िर एक और अफ़वाह उड़ती हैं की किसी ने बराबर के गाँव में अपने बेटे को कुलहाडी से काट दिया हैं|

देवान्त कि माँ घर से बाहर ही चारपाई डाल कर सो ती थी और देवान्त घर में देवान्त कि माँ के बगल में ही देवान्त के चाचा ओर चाची भी सोते थे देवान्त कि माँ बाहर सो ने ही वाली थी कि देवान्त की चाची अपने पति के साथ देवान्त के माँ के कान भरना सुरू कर देती हैं ओर अंत में कहती हैं कि आप इसके बेटे को भी क्यों नहीं काट देंते देवान्त कि माँ ये सब सुन हि रही थी और देवान्त कि चाची का भी यही मतलब था कि देवान्त कि माँ ये सब सुने देवान्त कि माँ ये सब सुनकर परेशान हो जाति हैं और सोचती हैं कि अगर देवान्त मर गया तो भूत बन जायेंगा और फ़िर भटकेगा कोई भी माँ अपने बेटे के साथ ऐसा कैसे होने देती जब उसे इन सबका पहले से ही पता हो तो|

अगली सुबह देवान्त कि माँ को खयाल आता हैं कि जो कथा सुनता हैं उसे स्वर्ग प्राप्त होता तो देवान्त कि माँ देवान्त को कथा करने के लिये बाजार से समान लाने के लिये कहती हैं देवान्त अपनी माँ का हर कहना मानता था तो वो बाजार चला गया और कथा करने का सारा समान लें आता हैं तभी देवान्त कि माँ पंडित के पास जाती हैं और कथा कराने के लियें पंडित जी से समय के बारें में पूछती हैं पंडित जी के पास समय नहीं होता सो दो दिन बाद का समय देते हैं|

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दो दिन बितनें के बाद देवान्त कि माँ फ़िर पंडित जी के पास जाती हैं तो पंडित जी 10 बजे का समय देते हैं कथा सुनाने के लिये देवान्त कि माँ घर चली जाती हैं कथा के सामान कि तैयारी करने लगती हैं जबतक 10 बज चुके होते हैं ओर पंडित जी घर पर आ जाते हैं पर अभी देवान्त ने नहाया नहीं होता हैं इसलियें देवान्त कि माँ पंडित जी से कुछ समय और रुकने के लियें कहती हैं तो पंडित जी 3 बजें का समय दे देते हैं धीरे-धीरे समय बितता हैं और 3 बज ही जाते हैं पंडित जी ने कथा कराने के लिये कही बाहर मंदिर में कहा था जहाँ वातावण बिल्कुल शांत हो देवान्त जब मंदिर में पहुचता हैं तो उसकी माँ पंडित जी से कहती हैं कि में नहीं ये कथा देवान्त सुनेगा तब पंडित जी देवान्त को कथा सुनाना सुरू करते हैं और बीच में देवान्त से कहते हैं समझ में आ रहा हैं न देवान्त हैं कहता हैं अब ये कहानी यही समाप्त हुई

कहानी में आप एक बात किया नहीं पकड़ पायें ये हम आपको बतातें हैं

इस पूरी कहानी में देवान्त के लिये माया जाल का प्रयोग किया गया हैं जो उन पंडितो के द्वारा बिछाया गया था जो देवान्त को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे तभी देवान्त कि चाची के पास उस पंडिताइन को भेजा जो जादू-टोना जानती थी और अब तो लोंगो को भी विश्वास हो चूका था कि देवान्त कि चाची जादू-टोना जानती हैं अगर देवान्त को कुछ हो भी जाता तो उन पंडित पर कोई आच नहीं आती लोंग कहते कि देवान्त कि चाची जादू-टोना जानती हैं उसी ने कुछ किया होगा ये सारी अफ़वाहे तो उस पंडिततो ने ही फैलाई थी|

हम आपको बता दें कि देवान्त आज भी जिन्दा हैं और उसकी उम्र भी बहुत हो चूकी हैं देवान्त को कथा सुनाना भी पंडितो का ही खेल था आपको पता नहीं होगा इस कथा को सुन्ने बाला या तो पागल हो जाता या फ़िर उसकी कहानी समाप्त हो जाती हैं देवान्त ने हमें इस कथा के गुप्त रहस्यों के बारें में भी बताया हैं जिसे कोई भी सुनकर कभी नहीं बच पाया जिसे आप हमारी अगली पोस्ट में पढ सकेगें


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